- निरंतर प्रयास करने से मिलती है सफलता
- नेहरू नगर में भागवत कथा का आयोजन
भोपाल, सफलता के लिए दृढ़ निश्चय और संकल्प की जरूरत होती है. यदि हम संकल्प लेकर एकाग्र मन से निरंतर प्रयास करें तो सफलता अवश्य मिलती है.
परीक्षा में गुरू द्रोण ने अपने शिष्यों से पेड़ में रखी चिडिय़ा के बारे में पूछा तो किसी ने कहा पेड़-पत्ते और चिडिय़ा दिखाई दे रही है जबकि अर्जुन ने कहा कि उन्हें सिर्फ चिडिय़ा की आंख दिखाई दे रही है. ये उद्गार सफलता को लेकर दिए गये व्याख्यान में मिथलेश महाराज ने व्यक्त किए.
नेहरु नगर स्थित कोपल स्कूल परिसर में नीनेश शर्मा की स्मृति में चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवे दिन कथा व्यास मिथिलेश दीक्षित जी महाराज ने कृष्ण बाल लीला, चीरहरण और गोवर्धन पर्वत के प्रसंग का विस्तार पूर्वक वर्णन किया.
आयोजक बीपी शर्मा ने बताया कि पांचवे दिन मुख्य अतिथी कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने कथा व्यास की पूजा कर कथा का आरंभ कराय. कथा व्यास मिथिलेश दीक्षित ने कृष्ण बाल लीलाओं और उनके बाल स्वरुप का वर्णन करते हुए बताया कि हमें स्वच्छता के लिए स्वयं संकल्प लेना चाहिए.
स्वच्छता राजनीतिक अभियान नही है यह हमारे खुद की नैतिक जिम्मेदारी है. हमे अपने आसपास स्वच्छता रखनी चाहिए भगवान श्रीकृष्ण को किसी ने नही कहा था कि यमुना गंदी है उसकी सफाई करनी है उन्होंने स्वयं यमुना को दूषिता देखा और दूषित देखकर उसे शुद्ध करने का संकल्प ले लिया. संकल्प व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाता है इसलिए हर व्यक्ति को संकल्प अवश्य लेना चाहिए.
महाराज श्री ने यह भी कथा के साथ लोगों को यह भी बताया कि हमें जीवन मे हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए मन और कर्म से प्रयास करने से सफलता अवश्य मिलती है निराशा हमें असफलता की ओर ले जाती है इसलिए आशावान बनकर सफलता के लिए प्रयास करे.
कथा के छठवे दिन रामलीला और रुकमणी विवाह के प्रसंग का वर्णन महाराज जी द्वारा किया जायेगा. आज की कथा में पीसी शर्मा कैबिनेट मंत्री मप्र शासन, बी पी शर्मा डायरेक्टर कोपल स्कूल, संजय श्रीवास्तव, मोनू सक्सेना पार्षद, सूरज तिवारी, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने शामिल हुए.
गृहस्थ जीवन में भी संभव है साधना: पं. रघुनाथ
ईश्वर की साधना केवल वानप्रस्थ ही नहीं गृहस्थ जीवन में भी की जा सकती है. काम करते हुए चिंतन करें तो प्रज्ञा का लाभ मिल सकता है. ये उद्गार कथावाचक पंडित रघुनाथ प्रसाद ने नेहरू नगर में चल रहे प्रज्ञा पुराण कथा में व्यक्त किए. कथा में आज भगवान विष्णु एवं नारद संवाद का वर्णन किया गया.
इस प्रसंग में नारद भगवान हरि से पूछते हैं कि जो लोग तपस्या नहीं करते वे ईश्वर की भक्ति किस प्रकार से कर सकते हैं. भगवान ने कहा कि सच्चे मन से आराधना कहीं भी की जा सकती है रैदास ने जीवन को साधनामय बना लिया था.
उन्होंने कहा कि 24 कलाओं का प्रज्ञा अवतार होगा तथा मानव की स्थिति में बदलाव होगा. प्रभु हरि ने नारद से कहा कि इस संदेश को घर -घर पहुंचाएं. अखिल विश्व गायत्री परिवार के तत्वावधान में पार्षद और महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष संतोष जितेंद्र कसाना के सौजन्य से 26 से 30 दिसम्बर तक नेहरू नगर के लालसिंह ग्राउंड में आयोजित 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में आज नेहरू नगर एवं आसपास की कॉलोनी के लोगों ने सपरिवार आहूतियां दीं .
इसी दौरान पुन्सवन संस्कार, अन्न प्रशासन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार आदि विभिन्न संस्कार संपन्न हुए . कथा वाचक श्री रघुनाथ प्रसाद हजारी जी ने बताया कि संस्कार आज के युग में अति महत्वपूर्ण हैं जिस घर में संस्कार नही हैं वहां पर परिवारवाद, अलगाववाद, गृह क्लेश, कलह आदि पैदा होते हैं जो परिवार संस्कारित होते हैं उस घर में सुख शांति एवं समृद्धि हमेशा रहती है .