भोपाल, प्रदेश के दामन पर लगे सबसे बड़े दाग व्यापमं घोटाले को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जिस गुमनाम पत्र की होती थी वो पत्र गृह विभाग के पास है ही नहीं.
जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात का दावा बार बार करते थे कि व्यापमं घोटाला कोई कांग्रेसी सामने नहीं लाया, बल्कि खुद उनकी सरकार सामने लाई है. उन्होंने कहा था जब गड़बड़ी सामने आई थी, तब हमने जांच कमेटी बनाई थी.
इंदौर की क्राइम ब्रांच के पास एक गुमनाम पत्र आया था, मुझे जानकारी मिली तब मैंने कहा, जांच करो. गहराई तक जाओ. लेकिन ऐसा कोई पत्र पुलिस विभाग के पास नहीं है. गृहमंत्री बाला बच्चन ने कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के प्रश्नों के जवाब में लिखित जानकारी विधानसभा में दी. विधायक ग्रेवाल ने विधानसभा में गृह विभाग से प्रश्न पूछा कि क्या 20 जून 2013 को गुप्तचर शाखा इंदौर में पीएमटी परीक्षा 2013 में फर्जीवाड़ा होने के संदर्भ में गुमनाम पत्र मिला था.
क्या विभाग द्वारा इस पत्र की जानकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री को दी गई थी. यदि हां तो बताएं कि आज दिनांक को वो पत्र एसटीएफ या एसबीआई के पास है या नहीं? पत्र में 2 लोगों के नाम बताये गए थे जो फर्जीवाड़ा के सूत्रधार थे तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि छापा मारो और दोनों को पकड़ो यदि हां तो किस दिनांक को इस संदर्भ में छापा मारा और उन दोनों को पकड़ा या नहीं.
यदि पकड़ा था उनका उल्लेख पीएमटी 2013 के प्रकरण एसटीएफ तथा सीबीआई ने किया. यदि नहीं, तो जिसके आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने घोटाला उजागर करने की घोषणा विधानसभा में की उसे दस्तावेज बनाए बिना प्रकरण कैसे बनाया. इस प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा है कि विभाग के पास गुमनाम पत्र उपलब्ध नहीं है. लेकिन 2 जुलाई 2014 को विधानसभा में इस बात का उल्लेख तत्कालीन मुख्यमंत्री ने स्थगन पर चर्चा के दौरान अपने वक्तव्य में किया था. अब सवाल उठता है कि शिवराज जिस गुमनाम पत्र का हवाला देकर यह कहते थे कि इस घोटाले का खुलासा उन्होंने ही किया है. तो जिस पत्र का जिक्र वो अक्सर अपने भाषणों और विधानसभा में स्थगन पर चर्चा के दौरान कर चुके हैं,वो पत्र कहां है?